रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, चित्रकार, संगीतज्ञ और समाज-सुधारक थे। उनके लगभग 50 कविता-ग्रंथ, 8 उपन्यास, 4 लघु उपन्यास, निबंध, यात्रा वृत्तांत, नाटक और दो हज़ार से अधिक गीत हैं। साहित्य में इतनी विधाओं में लिखने के बावजूद उनकी मान्यता शायद कहानी के कारण सर्वाधिक है। उनकी कहानियों में यथार्थ और आदर्शवाद का मिश्रण पाठक को मिलता है। जिसके माध्यम से वे बंगाल के ग्रामीण और शहरी परिवेश का जीवंत चित्रण करते हैं। उनकी कहानियों में स्त्री-पात्र ही कहानी का केन्द्र हैं। उनकी महिला-पात्र विद्रोही या बागी नहीं हैं लेकिन अपने सामाजिक दायरे के अन्दर रहकर अपने लिए जगह बनाती मिलती हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में 100 कहानियाँ लिखी हैं जिसमें से 11 अत्यंत लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण कहानियाँ इस संकलन में हैं।
रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, चित्रकार, संगीतज्ञ और समाज-सुधारक थे। उनके लगभग 50 कविता-ग्रंथ, 8 उपन्यास, 4 लघु उपन्यास, निबंध, यात्रा वृत्तांत, नाटक और दो हज़ार से अधिक गीत हैं। साहित्य में इतनी विधाओं में लिखने के बावजूद उनकी मान्यता शायद कहानी के कारण सर्वाधिक है। उनकी कहानियों में यथार्थ और आदर्शवाद का मिश्रण पाठक को मिलता है। जिसके माध्यम से वे बंगाल के ग्रामीण और शहरी परिवेश का जीवंत चित्रण करते हैं। उनकी कहानियों में स्त्री-पात्र ही कहानी का केन्द्र हैं। उनकी महिला-पात्र विद्रोही या बागी नहीं हैं लेकिन अपने सामाजिक दायरे के अन्दर रहकर अपने लिए जगह बनाती मिलती हैं। उन्होंने अपने जीवनकाल में 100 कहानियाँ लिखी हैं जिसमें से 11 अत्यंत लोकप्रिय और महत्त्वपूर्ण कहानियाँ इस संकलन में हैं।