सामाजिक-धार्मिक व राजनीतिक के लंबे संघर्ष भरे सफर में लेखक ने कविता लेखन की अपनी प्रतिभा को सम्मुख लाने का प्रयास किया है। लेखक पेशे से एडवोकेट हैं। जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के सदस्य (एम.एल.सी.) भी रहे। 1974 से शुरू किए सामाजिक व राजनीतिक जीवन में अनेक पदों पर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गटनायक से लेकर मंडल कार्यवाह, जम्मू रहे। आपातकाल के दौरान मीसा में गिरफ्तार रहे और बाद में अखिल रमेश अरोड़ा भारतीय विद्यार्थी परिषद के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष भी रहे। सन् 1979 में आयुर्वेदिक कॉलेज शुरू करने की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन में पी. एस. ए. . के तहत श्रीनगर की रैनावाड़ी जेल तक का सफर तय करना पड़ा। बाद में 1980 में संघ के प्रचारक के रूप में पंजाब के अंदर 5 साल तक कार्य करते रहे। वहां ए.बी. वी. पी. के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने के बाद एक अच्छे अधिवक्ता के नाते उन्होंने केस लड़ा और सरकार को प्रतिबंध हटाना पड़ा।
सन् 1986 में तत्कालीन जी. एम. शाह सरकार के धर्म निरपेक्ष नीति से हटने के कारण उनके विरूद्ध हिन्दू रक्षा समिति के प्रमुख होने के नाते आंदोलन चलाया। जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री शाह को अपने पद से हé
सामाजिक-धार्मिक व राजनीतिक के लंबे संघर्ष भरे सफर में लेखक ने कविता लेखन की अपनी प्रतिभा को सम्मुख लाने का प्रयास किया है। लेखक पेशे से एडवोकेट हैं। जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के सदस्य (एम.एल.सी.) भी रहे। 1974 से शुरू किए सामाजिक व राजनीतिक जीवन में अनेक पदों पर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गटनायक से लेकर मंडल कार्यवाह, जम्मू रहे। आपातकाल के दौरान मीसा में गिरफ्तार रहे और बाद में अखिल रमेश अरोड़ा भारतीय विद्यार्थी परिषद के जम्मू-कश्मीर अध्यक्ष भी रहे। सन् 1979 में आयुर्वेदिक कॉलेज शुरू करने की मांग को लेकर चलाए गए आंदोलन में पी. एस. ए. . के तहत श्रीनगर की रैनावाड़ी जेल तक का सफर तय करना पड़ा। बाद में 1980 में संघ के प्रचारक के रूप में पंजाब के अंदर 5 साल तक कार्य करते रहे। वहां ए.बी. वी. पी. के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने के बाद एक अच्छे अधिवक्ता के नाते उन्होंने केस लड़ा और सरकार को प्रतिबंध हटाना पड़ा।
सन् 1986 में तत्कालीन जी. एम. शाह सरकार के धर्म निरपेक्ष नीति से हटने के कारण उनके विरूद्ध हिन्दू रक्षा समिति के प्रमुख होने के नाते आंदोलन चलाया। जिसके परिणामस्वरूप मुख्यमंत्री शाह को अपने पद से हé