गोरख-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन है- जीवन संगीत। इसमें ओशो कहते हैं' मैं तुम्]हें संगीत देना चाहता हूं। लेकिन मैं जानता हूं तुम्]हारी अड़चन। तुम्]हें उदास चित्]त लोगों ने बहुत प्रभावित किया है। सदियों से धर्म के नाम पर तुम्]हें जीवन का निषेध सिखाया गया है, जीवन का विरोध सिखाया गया है। मैं तुम्]हें विकास से मुक्]त करना चाहता हूं। मैं कहता हूं यह क्षणभंगुर भी उस शाश्]वत की ही लीला है यह उसका ही रास है। वही नाच रहा है इसके मध्]य में। नाच में सम्मिलित हो जाओ। नाच में सम्मिलत होते-होते ही वह आंख भी खुलेगी जिससे तुम्]हें वह दिखाई पड़ने लगेगा।
गोरख-वाणी पर ओशो द्वारा दिए गए प्रवचनों का संकलन है- जीवन संगीत। इसमें ओशो कहते हैं' मैं तुम्]हें संगीत देना चाहता हूं। लेकिन मैं जानता हूं तुम्]हारी अड़चन। तुम्]हें उदास चित्]त लोगों ने बहुत प्रभावित किया है। सदियों से धर्म के नाम पर तुम्]हें जीवन का निषेध सिखाया गया है, जीवन का विरोध सिखाया गया है। मैं तुम्]हें विकास से मुक्]त करना चाहता हूं। मैं कहता हूं यह क्षणभंगुर भी उस शाश्]वत की ही लीला है यह उसका ही रास है। वही नाच रहा है इसके मध्]य में। नाच में सम्मिलित हो जाओ। नाच में सम्मिलत होते-होते ही वह आंख भी खुलेगी जिससे तुम्]हें वह दिखाई पड़ने लगेगा।