Ishq Mein Shahar Hona ( Volume 1 of Laprek Trilogy)एक टीवी पत्रकार ने जैसा जिया शहर को, लिखी उसमे पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला. चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान से सम्मानित कृति. "प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है ! हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं ! उन कोनों में जिंदगी भर देते हैं....आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं ! और प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूंढना नहीं होता ! दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है ! 'लप्रेक' उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है !"Ishq Koi News Nahin ( Volume 3 of Laprek Trilogy)एक मासूम सा "बाहरी" लड़का जिसे दिल्ली ने जितना ही छला, उसे वह उतनी ही शिद्दत से अपनी माशूका मानता है; उसी के देखे जिए प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला . न्यूजरूम में हत्या, बलात्कार, घोटाले, हाशिए के समाज को लगातार धकेली जानेवाली खबरों-और तो और-लव, सेक्स, धोखा पर लॉयल्टी टेस्ट शो की आपाधापी के बीच भी कितना कुछ घट रहा होता है किसी से क्रश, किसी की याद, कैम्पस में बिताए गए दिनों की नॉस्टेल्जिया, भीतर से हरहराकर आती कितनी सारी ख़बरें, लेकिन टेलीविज़न स्क्रीन के लिए ये सब किसी काम की नहीं टेलीविज़न के लिए सिर्फ वो ही ख़बरें हैं जो न्यूज़रूम के बाहर से आती हैं, वो और उन
Ishq Mein Shahar Hona ( Volume 1 of Laprek Trilogy)एक टीवी पत्रकार ने जैसा जिया शहर को, लिखी उसमे पलनेवाले प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला. चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान से सम्मानित कृति. "प्रेम हम सबको बेहतर शहरी बनाता है ! हम शहर के हर अनजान कोने का सम्मान करने लगते हैं ! उन कोनों में जिंदगी भर देते हैं....आप तभी एक शहर को नए सिरे से खोजते हैं जब प्रेम में होते हैं ! और प्रेम में होना सिर्फ हाथ थामने का बहाना ढूंढना नहीं होता ! दो लोगों के उस स्पेस में बहुत कुछ टकराता रहता है ! 'लप्रेक' उसी कशिश और टकराहट की पैदाइश है !"Ishq Koi News Nahin ( Volume 3 of Laprek Trilogy)एक मासूम सा "बाहरी" लड़का जिसे दिल्ली ने जितना ही छला, उसे वह उतनी ही शिद्दत से अपनी माशूका मानता है; उसी के देखे जिए प्रेम की लघु कथाओं की श्रंखला . न्यूजरूम में हत्या, बलात्कार, घोटाले, हाशिए के समाज को लगातार धकेली जानेवाली खबरों-और तो और-लव, सेक्स, धोखा पर लॉयल्टी टेस्ट शो की आपाधापी के बीच भी कितना कुछ घट रहा होता है किसी से क्रश, किसी की याद, कैम्पस में बिताए गए दिनों की नॉस्टेल्जिया, भीतर से हरहराकर आती कितनी सारी ख़बरें, लेकिन टेलीविज़न स्क्रीन के लिए ये सब किसी काम की नहीं टेलीविज़न के लिए सिर्फ वो ही ख़बरें हैं जो न्यूज़रूम के बाहर से आती हैं, वो और उन