आज मनुष्य के सामने दो ही विकल्प हैं या तो एक सामहिक आत्मघात या फिर चैतन्य में एक गुणात्मक छलांग। यह आनंदपूर्ण है कि ऐसे संक्रमण-काल में विश्वभर में लाखों लोग ओशो की जीवनदृष्टि से आंदोलित हो रहे हैं और एक नए मनुष्य को, एक नए विश्व को जन्म देने के लिए तैयार हो गये हैं। ओशो के क्रांतिकारी संदेश का स्रोत सत्य का उनका अपना अनुभव है। यह संदेश उन पंडितों की तोता-रटंत नहीं है, जो अज्ञात के रहस्यों में प्रवेश करने के भय से शास्त्रों के वचन ओढ़ लेते हैं। ओशो के शब्द उनके अपने जिए हुए अनुभव से ओतप्रोत हैं। ये आग्नेय वचन एक जीवंत बुद्ध के सत्य से सिक्त हैं। यदि आप खुले हृदय से इन्हें पढ़ें तो ये वचन आपको आलोकित कर सकते हैं। सावधान-इस पुरतक को खोलने वाला व्यक्ति शायद इसे बंद करते समय वही न रहे, जो वह खोलते समय था। याद रखें, सत्य की अग्नि इस क्षण के पार, जीवन का कोई वचन नहीं देती।
आज मनुष्य के सामने दो ही विकल्प हैं या तो एक सामहिक आत्मघात या फिर चैतन्य में एक गुणात्मक छलांग। यह आनंदपूर्ण है कि ऐसे संक्रमण-काल में विश्वभर में लाखों लोग ओशो की जीवनदृष्टि से आंदोलित हो रहे हैं और एक नए मनुष्य को, एक नए विश्व को जन्म देने के लिए तैयार हो गये हैं। ओशो के क्रांतिकारी संदेश का स्रोत सत्य का उनका अपना अनुभव है। यह संदेश उन पंडितों की तोता-रटंत नहीं है, जो अज्ञात के रहस्यों में प्रवेश करने के भय से शास्त्रों के वचन ओढ़ लेते हैं। ओशो के शब्द उनके अपने जिए हुए अनुभव से ओतप्रोत हैं। ये आग्नेय वचन एक जीवंत बुद्ध के सत्य से सिक्त हैं। यदि आप खुले हृदय से इन्हें पढ़ें तो ये वचन आपको आलोकित कर सकते हैं। सावधान-इस पुरतक को खोलने वाला व्यक्ति शायद इसे बंद करते समय वही न रहे, जो वह खोलते समय था। याद रखें, सत्य की अग्नि इस क्षण के पार, जीवन का कोई वचन नहीं देती।