दुनिया, एक स्थान, जहां ईश्वर अपने बनाए हुए खिलौनों से खेलता है। इंसान के रूप में हम सब अपनी राह चलते हैं और सबके अपने अनुभव होते हैं। किसी के भी अनुभव को गलत नहीं कहा जा सकता।
जीवन के अनुभवों से गुजरते हुए इस जन्म मुझे लगा कि ईश्वर को हम जिस रूप में देखते हैं, वह मुझे वैसा मिला ही नहीं।
उस शक्ति को मैं इक भाव के रूप में महसूस कर पायी। जिंदगी के अनगिनत पहलूओं से गुजरते हुए, उस परमात्मा की सृष्टि के करीब हो पायी। सबसे खूबसूरत उसकी कृति एक औरत के रूप मे उसका भाव कैसे जगा पाई। इस पर आधारित यह किताब।
धरती के जीवों और रूह या वायु का अद्भुत संगम एक इंसान के जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, शुक्रिया मैं अवसाद में रही, इस दुनिया मे होकर भी इस दुनिया की न रही।