करीब तीन घंटे की मैराथन बैठक के बाद ईपीआईसी और आधार को जल्द से जल्द जोड़ने के लिए जरूरी कदम उठाने पर सहमति बनी है। इन दोनों महत्वपूर्ण कार्ड के जुड़ जाने से न सिर्फ फर्जी मतदाताओं की पहचान होगी, बल्कि फर्जी मतदान पर भी अंकुश लग सकेगा। इसके लिए आयोग जल्द ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के अधिकारियों व तकनीकी विशेषज्ञों के साथ काम शुरू करेगा।
आयोग ने कहा है, यह प्रक्रिया पूरी तरह संविधान के अनुच्छेद 326 व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23 (4), 23 (5) और 23 (6) पर आधारित है। इसके लिए आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय के पुराने निर्णयों का भी हवाला दिया। आयोग ने साफ किया कि आधार सिर्फ पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं। जबकि, मतदाता पहचान पत्र सिर्फ देश के नागरिकों को जारी किया जाता है। आयोग ने बीते दिनों दोनों कार्ड जोड़ने की योजना शुरू की थी, पर अभी तक ईपीआईसी को आधार कार्ड से जोड़ना बाध्यकारी नहीं, स्वैच्छिक है।
अप्रैल तक मांगे सुझाव : प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 31 मार्च से पहले आयोग पंजीकरण अधिकारियों, जिला व मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाने जा रहा है। आयोग ने सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल तक ...